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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2795
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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन

प्रश्न- मन्त्रिमंडल के संगठन एवं मंत्रिमण्डल व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मंत्रिमण्डल संगठन क्या है?
2. युद्ध मंत्रिमण्डल का वर्णन कीजिए।
3. छाया मंत्रिमंडल पर टिप्पणी लिखिए।
4. 'मंत्रिमण्डलीय उत्तरदायित्व' के परिणामों का उल्लेख कीजिए।
5. एकता एवं एकरूपता पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर -

मंत्रिमंडल का संगठन
(Organization of the Cabinet)

मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री के आलावा 12 से 22 मंत्री तक होते हैं। इनमें प्रमुख हैं वित्त मंत्री, लार्ड चांसलर प्रिवी काउन्सिल का लार्ड प्रेसीडेन्ट, लार्ड प्रिवी सील, रक्षामंत्री, विदेशमंत्री, व्यापार मंत्री, स्काटलैंड मंत्री, उपनिवेश मंत्री, राष्ट्रमंडल संबंधी विषयों का मंत्री, गृहमंत्री, शिक्षामंत्री आदि। प्रधानमंत्री को 10,000 पौंड वार्षिक मिलते हैं तथा अन्य मंत्रियों को 2000 पौंड वार्षिक वेतन व भत्ते के रूप में दिया जाता है।

मंत्रिमंडल के निर्माण की प्रक्रिया अभिसमय या रूढ़ि पर आधारित है। लोकसदन में बहुमत दल के नेता को संप्रभु प्रधानमंत्री पद के लिए आमंत्रित करता है और उसकी संस्तुति पर वह अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है। 'मिनिस्टर्स ऑफ द क्राउन एक्ट 1937 के अंतर्गत प्रधानमंत्री के लिए यह भी बंधन है कि वह दोनों सदनों में से मंत्रियों का चयन करे। वर्तमान में कम से कम तीन मंत्री 'लार्ड सभा' से लिये जाते हैं शेष 'कामन्स सभा मंत्रियों का संसद का सदस्य होना आवश्यक होता है और यदि कोई मंत्री संसद सदस्य नहीं है तो उसे छह मास के भीतर यह पात्रता प्राप्त करनी होती है अन्यथा उसे त्याग पत्र देना होगा। मंत्रियों में दल के प्रभावशाली व्यक्ति होते हैं। मंत्रिमंडल के गठन में सभी वर्गों एवं विचारों का प्रतिनिधित्व होता है। ए. एन. डैग्निच ने कहा है- "प्रधानमंत्री के दलीय सहयोगियों में दो-तीन ऐसे होते हैं, जिनका प्रभाव बहुत अधिक होता हैं। इस संख्या के तिगुने या चौगुने सदस्य ऐसे होते हैं, जिनका प्रभाव होता है और जो दल के विशेष वर्गों में विश्वासभाजन होते हैं।

युद्ध मंत्रिमंडल (War Cabinet ) - मंत्रिमंडल मंत्रिपरिषद की एक छोटी समिति है। प्रथम विश्व युद्ध के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री लायड जार्ज 1916 में एक युद्ध मंत्रिमंडल का गठन किया जिसमें पाँच मंत्री थे। उन्होंने इसका औचित्य प्रतिपादित करते हुए कहा- 'मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि बीस सदस्यों की संस्था युद्ध के समय त्वरित निर्णय लेने की दृष्टि से व्यर्थ होगी। प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद यह मंत्रिमंडल समाप्त हो गया। इसी प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 1939 में चैम्बरलेन ने नौ सदस्यों का युद्ध मंत्रिमंडल बनाया। उनके उत्तराधिकारी विंस्टन चर्चिल ने 1940 में इसकी संख्या पाँच कर दी जिसे 1943 में बढ़ा कर पुनः नौ कर दिया गया।

दोनों ही विश्वयुद्धों में 'युद्ध मंत्रिमंडल' मंत्रिमंडल की एक समिति मात्र नहीं था वरन इसने मंत्रिमंडल की समस्त शक्तियों का उपभोग किया।

छाया मंत्रिमंडल (Shadow Cabinet ) - ब्रिटेन में मंत्रिमंडल से संबंधित एक विकास 'छाया मंत्रिमंडल के रूप में हुआ है। जिस प्रकार सत्तारूढ़ दल अपने मंत्रिमंडल का निर्माण करता है एवं विभागों को आवंटित है, उसी प्रकार कामन्स सभा में विरोधी दल संगठित रहता है। विरोधी दल के नेता को 2000 पौंण्ड वार्षिक दिये जाते हैं। यह व्यवस्था 'मिनिस्टर्स ऑफ द क्राउन एक्ट 1937 में की गई है।

मंत्रिमंडलात्मक व्यवस्था की विशेषतायें
(Salient Features of the Cabinet System)

मंत्रिमंडलात्मक व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें निम्नांकित हैं जिन्हें ब्रिटेन के संवैधानिक विकास की देन कहा जा सकता है -

1. संप्रभु औपचारिक कार्यपालिका प्रधान, वास्तविक कार्यपालिका मंत्रिमंडल - मंत्रिमंडलात्मक व्यवस्था में संप्रभु राज्य का प्रधान होता है और कार्यपालिका का नाम मात्र का अध्यक्ष होता है, वास्तविक कार्यपालिका मंत्रिमंडल होता है। संप्रभु मंत्रिमंडल की सलाह पर ही कार्य करता है।

2. कार्यपालिका का व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायित्व एवं अभीष्ट संबंध - मंत्रिमंडल, जोकि वास्तविक कार्यपालिका होता है, व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होता है। मंत्री व्यवस्थापिका के किसी न किसी सदन के सदस्य होते हैं और बहुमत दल का प्रतिनिधित्व करते हैं। ब्रिटेन में मंत्रिमंडल कामन्स सभा के प्रति और भारत में लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं जोकि व्यवस्थापिका के निर्वाचित सदन हैं।

3. प्रधानमंत्री का नेतृत्व मंत्रिमंडलात्मक व्यवस्था की महत्वपूर्ण विशेषता - मंत्रिमंडल का प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कार्य करना है। प्रधानमंत्री जोकि व्यवस्थापिका के लोकसदन में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है, ही मंत्रिमंडल में मंत्रियों की नियुक्ति एवं पदमुक्ति की सिफारिश करता है। वह शासन का प्रधान होता है। लार्ड मार्ले के शब्दों में "वह मंत्रिमंडल रूपी मेहराब की आधारशिला है।"

4. मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व - मंत्रिमंडलात्मक व्यवस्था में मंत्रिमंडल को जितना अधिक व्यापक कार्यक्षेत्र प्राप्त होता है उतना ही अधिक उसका उत्तरदायित्व होता है। ब्रिटेन के संबंध में यह उत्तरदायित्व और भी अधिक है। 'मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व' के सिद्धांत के आधार पर ही मंत्रिमंडल की कार्य-प्रणाली चलती है। फ्रैडरिक ऑग के अनुसार मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व दो प्रकार का होता है कानूनी एवं राजनैतिक।

कानूनी उत्तरदायित्व इस सिद्धांत या परम्परा पर आधारित है कि राजपद का प्रत्येक कार्य किसी न किसी मंत्री के द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित होता है। संप्रभु के प्रत्येक कार्य का उत्तरदायित्व किसी न किसी मंत्री का होता है।

राजनैतिक उत्तरदायित्व को स्पष्ट करते हुए मुनरो ने कहा है कि यह तीन तरह का होता है - प्रथम, मंत्री राजपद के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

द्वितीय, मंत्रिगण एक-दूसरे के प्रति उत्तरदायी होते हैं क्योंकि एक मंत्री की गलती का परिणाम पूरे मंत्रिमंडल को भुगतना पड़ता है।

तृतीय, मंत्रिमंडल 'हाउस ऑफ कामन्स' के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होता है।

5. सामूहिक उत्तरदायित्व - मंत्रिमंडलीय शासन पद्धति एक उत्तरदायी शासन व्यवस्था होती है। अतः मंत्रिमंडल सामूहिक रूप से व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होते हैं। ब्रिटेन में मंत्रिमंडल सामूहिक रूप से उत्तरदायित्व होता है। 'मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व' का ब्रिटिश संवैधानिक व्यवस्था में बड़ा महत्व है। क्विटिन हॉग के शब्दों में "यह अंग्रेजी मंत्रिमंडलीय व्यवस्था का मूल आधार है।'

मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व के निम्नांकित परिणाम होते हैं-

1. प्रत्येक मंत्री मंत्रिमंडल का भाग होता है, उसका व्यक्तिगत रूप में काई महत्व नहीं होता। प्रत्येक विभाग से संबंधित प्रत्येक महत्वपूर्ण निर्णय पूरा मंत्रिमंडल करता है। अतः वे सामूहिक रूप से कार्य करते हैं।

2. मंत्रिमंडल के द्वारा दिया गया निर्णय प्रत्येक मंत्री के लिए बाध्यकारी होता है। यदि कोई मंत्री इसके लिए सहमत नहीं होता है तो उसे त्यागपत्र देना होता है। विचार-विमर्श के समय यद्यपि मतभेद भी प्रकट होते हैं परन्तु निर्णय होने के बाद वह निर्णय संपूर्ण मंत्रिमंडल का माना जाता है। लार्ड सेलिसबरी का 1778 में दिया गया वक्तव्य इसे पूरी तरह स्पष्ट करता है। जो कुछ मंत्रिमंडल के द्वारा पारित हो जाता है उसके लिए मंत्रिमंडल का प्रत्येक सदस्य, जो उससे त्यागपत्र न दे, पूर्ण एवं अनिवार्य रूप से उत्तरदायी होता है और उसे बाद में यह कहने का अधिकार नहीं होता है कि उसने अमुक बात को समझौते के रूप में स्वीकार कर लिया था अथवा अन्य किसी बात के विषय में उसको उसके साथियों ने राजी कर लिया था। 1968 में उपप्रधानमंत्री लार्ड ब्राउन ने इस बात पर मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था क्योंकि प्रधानमंत्री विल्सन मंत्रियों के परामर्श की उपेक्षा करते थे। मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था क्योंकि प्रधानमंत्री विल्सन मंत्रियों के परामर्श की उपेक्षा करते थे।

3. यदि किसी विभाग के कार्यों उसकी नीति से लोकसदन असहमति प्रकट करता है तो संपूर्ण मंत्रिमंडल त्यागपत्र दे देता है क्योंकि प्रत्येक विभाग के नीतिनात निर्णय संपूर्ण मंत्रिमंडल द्वारा लिये जाते हैं।

4. पर यदि कोई मंत्री मंत्रिमंडल द्वारा लिये गये निर्णय की गोपनीयता को भंग करता है तो उसके लिए संपूर्ण मंत्रिमंडल को त्यागपत्र देने की आवश्यकता नहीं है। इस पर उस मंत्री को त्यागपत्र देना पड़ता है। व्यक्तिगत आरोप या चरित्र संबंधी आरोप पर भी संबंधित मंत्री को पद त्यागना पड़ता है। जैसे 1963 में कीलर कांड में प्रतिरक्षा मंत्री प्रोफ्यूमों को त्यागपत्र देना पड़ा था। पर यह तभी होता है जब किसी मंत्री ने ऐसा कार्य किया हो जिसे संसद या मंत्रिमंडल न चाहता हो। साधरणतया नियम यही है कि सभी मंत्री सामूहिक उत्तरदायित्व में शामिल होते हैं और यह मंत्रिमंडलीय प्रणाली का अविभाज्य अंग है। लार्ड मार्ले ने इस संबंध में स्पष्ट किया है- "साधारण नियम यही है कि प्रत्येक विभाग की महत्वपूर्ण नीति का संबंध संपूर्ण मंत्रिमंडल के लिये होता है और उसके सदस्यों का पदासीन रहना व पतन होना साथ ही होता है। परराष्ट्र मंत्रालय के किसी दोष पूर्ण व्यवहार के कारण यह संभव है कि वित्तमंत्री को पद छोड़ना पड़े और किसी मूर्ख युद्धमंत्री की त्रुटियों के कारण यह संभव हो सकता है कि एक कुशल गृहमंत्री को हानि उठानी पड़े मंत्रिमंडल के विषय में अब यही समझा जाता है कि एकनिष्ठ एवं अविभाजनीय उत्तरदायित्व मंत्रिमंडल की पहली विशेषता है।

6. एकता एवं एकरूपता - 'सामूहिक उत्तरदायित्व' के सिद्धांत का निर्वाह मंत्रिमंडल की एकता एवं एकरूपता के कारण संभव हो पाता है। मंत्रिमंडल ऐसे व्यक्तियों का समूह होता है जिनकी एक सी विचारधारा एवं एक-सा राजनीतिक कार्यक्रम होता है। वे लोग प्रायः एक ही राजनीतिक दल के सदस्य होते हैं। इससे मंत्रिमंडल में एकता एवं एकरूपता बनी रहती है जिसके कारण सामूहिक दायित्व का निर्वाह संभव हो पाता है। एच. जे. लास्की ने इस संबंध को स्पष्ट करते हुए कहा है- "सामूहिक उत्तरदायित्व का रहस्य साधारणतः दल प्रणाली में निहित होता है। दल के प्रभाव के कारण ही उसमें उद्देश्य की एकता आती है और उस आधार का निर्माण होता है, जिससे उद्देश्य की एकता सम्भव हो सकती है। दल के कारण ही एक से उद्देश्यों वाले ऐसे व्यक्ति मंत्रिमंडल में सम्मिलित होते हैं, जो प्रस्तुत समस्याओं पर एक से दृष्टिकोण से विचार करते हैं। दल के कारण ही मंत्रिमंडल के लिये यह संभव होता है कि वह मोटे रूप में पूर्व निश्चित ऐसी नीति पर चल सके, जिससे लोकसदन का समर्थन उसे सदा प्राप्त रहे।

7. गोपनीयता - मंत्रिमंडलात्मक पद्धति की एक विशेषता मंत्रिमंडल की कार्यवाही एवं निर्णयों की गोपनीयता है। प्रत्येक मंत्री को पद ग्रहण करते समय गोपनीयता की शपथ लेनी पड़ती है। इसके अतिरिक्त 1911 के 'सरकारी गोपनीयता अधिनियम के कारण भी मंत्री गोपनीयता बनाये रखने के लिए बाध्य हैं। मंत्रिमंडल की बैठकों में जो वाद-विवाद होते हैं उनका कोई लेखा नहीं रख जाता केवल निर्णयों का लेखा 1917 से रखा जाता है। इस प्रकार व्यक्तिगत मतभेद गुप्त रहते हैं। गोपनीयता भंग करने पर मंत्री को त्यागपत्र देना पड़ता है अथवा उसे प्रधानमंत्री की सिफारिश पर बर्खास्त भी किया जा सकता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- उदार लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
  6. प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
  7. प्रश्न- समाजवादी राज्य क्या है, इसकी कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाजवाद की परिभाषा दीजिए। विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- उपनिवेशवाद क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- विकासशील देशों में राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- रूढ़ियों से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- रूढ़ियों कानून से किस प्रकार भिन्न हैं? प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- रूढ़ियों का पालन क्यों होता है? स्पष्ट कीजिये।
  14. प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- राजा एवं राजपद अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- मन्त्रिमण्डलात्मक प्रणाली का उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के संगठन एवं मंत्रिमण्डल व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- बिटिश प्रधानमंत्री सारे शासन तंत्र की धुरी है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन की सम्प्रभुता की विवेचना कीजिए तथा इस प्रभुसत्ता की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
  21. प्रश्न- लार्ड सभा की रचना कार्यों व उनकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- इंग्लैंड की समिति प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
  23. प्रश्न- कामन्स सभा क्या है? इसके संगठन एवं पदाधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कामन्स सभा की शक्तियों, कार्यों एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- कामन सभा के स्पीकर एवं उसकी शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  28. प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- राजनीतिक दलों से क्या तात्पर्य है? राजनीतिक दलों की भूमिका एवं महत्व को समझाइये।
  33. प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की कानूनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- मंत्रिमण्डल एवं क्राउन के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- मन्त्रिमंडल का ब्रिटिश की संवैधानिक व्यवस्था में क्या महत्व है?
  46. प्रश्न- मंत्रिमंडल की महत्ता के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की महत्ता के कारण बताइये।
  48. प्रश्न- लार्ड सभा ने सुधार के क्या प्रयास किये?
  49. प्रश्न- क्या ग्रेट ब्रिटेन में संसद संप्रभु है?
  50. प्रश्न- 'संसदीय प्रभुता' के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  51. प्रश्न- विपक्षी दल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- ब्रिटिश कानून कितने प्रकार से प्रयोग में लाये जाते हैं?
  55. प्रश्न- राजनीतिक दलों के कार्यों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- राजनीतिक दल मतदाताओं में अपना समर्थन बढाने के लिये कौन-कौन से साधनों का प्रयोग करते हैं।
  57. प्रश्न- ब्रिटेन तथा फ्राँस की दलीय प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यों, शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति की वृद्धि एवं उसके कारणों की विवेचना कीजिये।
  60. प्रश्न- अमेरिकी व ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना कीजिए।
  61. प्रश्न- ब्रिटिश संप्रभु (क्राउन) प्रधानमंत्री तथा अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- अमेरिका के सीनेट के गठन, उसकी शक्ति एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा के संगठन, शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- अमेरिका का उच्चतम न्यायालय व्यवस्थापिका का तृतीय सदन बनता जा रहा है। स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- सर्वोच्च के महत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं? अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।
  68. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की कार्य-प्रणाली का विवेचना कीजिए।
  69. प्रश्न- अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के गठन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति में क्या अन्तर है?
  70. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?
  72. प्रश्न- अमेरिका तथा ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की समानता और असमानताओं का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- दबाव अथवा हित समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूह के प्रमुख लक्षण एवं साधनों पर प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति को दलीय अथवा राष्ट्रीय नेता के रूप में पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- राष्ट्रपति एवं मन्त्रिमण्डल के सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- जैरीमैण्डरिंग पर संछिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- सीनेट के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  79. प्रश्न- यू. एस. ए. 'सीनेट की शिष्टता' का क्या अर्थ है?
  80. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा की दुर्बलता के कारण बताइये।
  81. प्रश्न- संघीय न्यायपालिका कितने प्रकार की होती है?
  82. प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
  85. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  86. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों की कमियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- अमरीका और इंग्लैण्ड की दल- प्रणाली की तुलना कीजिए।
  88. प्रश्न- अमेरिका के राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- माओवाद क्या है? माओवाद के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  90. प्रश्न- कन्फ्यूशियसवाद क्या है? इसके प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  91. प्रश्न- चीनी विधानमंडल राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के गठन, शक्ति एवं कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति के बारे में आप क्या जानते हंत उसकी शक्ति एवं कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- स्थायी समिति की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- जनवादी चीन के राष्ट्रपति के कार्यों एवं अधिकारों की विवेचना कीजिए।
  95. प्रश्न- चीन में न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें बताते हुये न्यायपालिका के संगठन एवं उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल के संगठन का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- एक देश दो प्रणाली नीति से आप क्या समझते हैं?
  99. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- चीन में कांग्रेस के सदस्यों के अधिकारों एवं दायित्वों की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- चीन राज्य परिषद के गठन पर प्रकाश डालिये।
  103. प्रश्न- चीन के सैनिक केन्द्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
  105. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जनवादी चीन में प्रोक्यूरेटोरेट पद की व्यवस्था का विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के वर्तमान संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के संविधान की संशोधन प्रकिया का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सफलता के कारणों को इंगित कीजिए।
  110. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
  112. प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।

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